Header Ads Widget

Responsive Advertisement

आरोग्य बीमा में कैशलैस क्लेम के बारे में महत्वपूर्णमुद्दे।

    HP 15 (2021) Thin & Light 11th Gen Core i3 Laptop, 8 GB RAM, 1TB HDD, M.2 Slot, 15.6-inch (39.62 cms) FHD Screen, Windows 10, MS Office, (15s-dy3001TU)



    आरोग्य बीमा अर्थात मेडिक्लेम
पॉलिसी में क्लेम का ना आनाइच्छनीय स्थिति है, लेकिन ना करेंनारायण यदि किसी बीमारी केकारण हॉस्पिटल में एडमिट होनापड़े तो इस स्थिति में क्या करना
पड़ेगा, उसके बारे में आज बातकरते हैं. हॉस्पिटलाइजेशन के खर्चके क्लेम का भुगतान दो प्रकार से होता है- एक कैशलैस क्लेम और दो
रिम्बर्समेंट क्लेम. आज हम कैशलैसक्लेम की बात करेंगे. अगली बार रिम्बर्समेंट क्लेम पर प्रकाश डालेंगे.
कैशलैस क्लेम:
क्लेम प्रोसेस करने की यह
काफी सरल और सहज प्रक्रिया है.बीमा देने वाली कंपनी के नेटवर्क में हो उस हॉस्पिटल में उपचार
कराया जाए तो ही कैशलैस क्लेम संभव है. कैशलैस क्लेम में बीमा धारक को अपने जेब से कोई खर्च
नहीं करना पड़ता. यदि कोई सर्जरी
अचानक करने के बदले पहले से निश्चित हो और उपचार करने वाला डॉक्टर नेटवर्क के हॉस्पिटल में हो
यह सर्जरी कैशलेस सिस्टम से ही कर आनी चाहिए.
कैशलेस सिस्टम के तहत दावा करते समय इन मुद्दों का ध्यान रखना आवश्यक है:
1) हॉस्पिटल में टीपीए डेस्क से  संपर्क: 
हॉस्पिटल में प्रवेश के बाद सीधे टीपीए डेस्क के पास जाकर जांच करानी होती है कि संबंधित
पॉलिसी कैशलेस उपचार के लिए स्वीकार्य है या नहीं. इस पॉलिसी के तहत कैशलेस सुविधा उपलब्ध है,
ऐसा कंफर्म होने पर डेस्क के मार्फत हॉस्पिटल में एडमिट होने के उद्शदे्य से बीमा कंपनी/ टीपीए( थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर) की अग्रिम अनुमति
ली जाती है.
2) बीमा कंपनी/ टीपीए के पास
से अग्रिम अनुमति लेने के लिए उससे संबंधित फार्म टीपीए डेस्क पर भरना होता है जिससे बीमा कंपनी/
टीपीए को सूचित किया जा सके. शुरुआत में हॉस्पिटल में प्रवेश का कंफर्मेशन मिलता है और पाल्सी के
आधार पर उपचार के खर्च के लिए
पॉलिसी के तहत की सीमा निश्चित होती है.

ये भी देखे lic ka best plan

3) दाखिल होने की प्रक्रिया:
अग्रिम अनुमति की प्रक्रिया पूरी होने के बाद हॉस्पिटल में प्रवेश करने के कागजात तैयार करने होते हैं.
4) उपचार और खर्च की
सीमा: हॉस्पिटल में दाखिल होने के
बाद उपचार शुरू हो और हॉस्पिटल को पॉलिसी के तहत की खर्च की निश्चित सीमा के बारे में जानकारी
दी जाती है. यह सीमा पूरी होने के बाद भी यदि हॉस्पिटल में रहना पड़े ऐसी स्थिति हो तो हॉस्पिटल की ओर से बीमा कंपनी/ टीपीए को खर्च की
सीमा बढ़ाने के लिए कहा जाता है.
5) अंतिम बिलिंग: उपचार
पूरा होने के बाद डॉक्टर जब मरीज
को छुट्टी देने के लिए कहे तब हॉस्पिटल के सभी विभाग से इस मरीज का बिल मंगवाया जाता है
और उसके आधार पर अंतिम बिलिंग होती है. हॉस्पिटल का बिलिंग विभाग मरीज को छुट्टी देने के लिए अंतिम क्लेम की मंजूरी देने के उद्देश्य से
टीपीए डेस्क को जानकारी देता है.
6) प्लेम की मंजूरी: बीमा
कंपनी/ टीपीए के प्ले मंजूर करने पर मरीज को छुट्टी दी जाती है. इस चरण में मरीज और हॉस्पिटल
के बीच अंतिम प्रक्रिया पूरी होती है.
7) हॉस्पिटल से छुट्टी: बिलिंग विभाग के बिल का भुगतान के लिए कहने के बाद हॉस्पिटल से छुट्टी
दी जाती है.

Post a Comment

0 Comments